शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी ने आज सुखबीर सिंह बादल पर हुए जानलेवा हमले को सिख परंपराओं, खालसा विरासत और हमारे महान गुरु साहिबान द्वारा दिखाए गए मूल्यों और संस्थाओं पर हमला बताया है।
कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह हमला ऐसे हालात पैदा करने का प्रयास है, जिनका इस्तेमाल सिख नौजवानों के झूठे एनकाउंटरों के दौर की नई शुरुआत के बहाने के रूप में किया जा सके। कमेटी ने कहा कि जिसने जानलेवा हमला किया, वह अकेला नहीं था, बल्कि उसके साथ कई अन्य व्यक्ति इस साजिश का हिस्सा थे। वह तो सिर्फ शक्तिशाली सिख विरोधी ताकतों द्वारा एक शार्प शूटर के रूप में काम कर रहा था। जिस दिन जानलेवा हमला किया गया, उस दिन भी पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उसे सहायता प्रदान की और सुखबीर सिंह बादल तक पहुंचने के लिए मार्गदर्शन किया। कमेटी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा अपने ही तैयार किए गए भेड़िये से खुद को अलग दिखाने के लिए अपनाई गई चालाकी से ही यह साबित होता है कि यह सब एक साजिश का हिस्सा है।
कोर कमेटी ने पंजाब पुलिस द्वारा घटना की की जा रही जांच को पूरी तरह खारिज कर दिया और कहा कि वह पंजाब के राज्यपाल के पास पहुंचकर निष्पक्ष जांच की मांग करेगी।
सीनियर नेताओं बिक्रम सिंह मजीठिया और डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि एसपी हरपाल सिंह रंधावा की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने हमलावर को सुखबीर सिंह बादल तक पहुंचने का रास्ता दिखाया और एसपी हरपाल सिंह रंधावा ने इस मामले में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि कैसे 'सेवा' के पहले ही दिन एसपी ने यूथ अकाली दल के नेताओं और शिरोमणि कमेटी के सचिव को भी बादल से दूर रहने के लिए कहा और खुद नरायण सिंह चौड़ा के साथ हाथ मिलाते हुए देखा गया।
सीनियर अकाली नेताओं ने अकाली नेता गुरप्रताप सिंह वडाला की कल मोगा में दल खालसा के कार्यक्रम में उपस्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दल खालसा संगठन तो संविधान में विश्वास ही नहीं रखता और खालिस्तान का समर्थन करता है, इसलिए वडाला को इन दोनों मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए।
कोर कमेटी ने एक प्रस्ताव पास कर के कहा कि यह हमला अकाली दल की संतुलित नेतृत्व को खत्म करने की एक साजिश का हिस्सा है। कमेटी ने बताया कि सिख विरोधी ताकतों ने उस समय श्री दरबार साहिब पर हमला किया जब एक 'सेवादार' सुखबीर सिंह बादल श्री दरबार साहिब के दर पर सेवा कर रहे थे। कमेटी ने कहा कि इस पूरी घटना में मुख्यमंत्री भगवंत मान का रवैया बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा कि श्री दरबार साहिब पर हुए हमले के बाद हालात का आकलन करने के बजाय मुख्यमंत्री ने घटना को दबाने का प्रयास किया। कमेटी ने एएसआई जसवीर सिंह और उनके साथियों द्वारा दिखाए गए सतर्कता और स्वैच्छिक समर्पण की सराहना की, जिसकी बदौलत उन्होंने जानलेवा हमले को नाकाम किया, हालांकि जसवीर सिंह उस दिन आधिकारिक तौर पर ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे और अपनी इच्छा से श्री दरबार साहिब आए थे। उन्होंने कहा कि वह अमृतसर पुलिस के कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर द्वारा किए गए दावे के अनुसार तैनात 175 पुलिस कर्मचारियों का हिस्सा नहीं थे।
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